एब्बे फारिया दुनिया का वह पहला व्यक्ति था, जिसने सम्मोहन
की कला को एक वैज्ञानिक आधार प्रदान किया और उसे अंधविश्वास तथा झाड़फूक की श्रेणी
से बाहर निकाला। उसने इस विद्या का मनोवैज्ञानिक सिद्धांत भी तैयार किया। एब्बे फारिया नेपोलियनबोनापार्ट का विश्वासपात्र सलाहकार तथा अंतरंग दोस्त था। फारिया मूल
रूप से भारतीय था, जो सम्मोहन और वशीकरण की कला में इतना पारंगत था
कि उसने अपनी इस कला से विश्वविजेता नेपोलियन को भी वशीभूत कर लिया था।
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जन्म
एब्बे फारिया का जन्म 31 मई, 1756 ई. को भारत में गोवा के
'कोलवाले गांव' में हुआ था। उसके पितामह जाति से ब्राह्मण थे।
फारिया के पिता कुछ
दिन तक पुर्तग़ाल में
भी रहे और वहीं से वह पेरिस पहुँचे थे। सम्मोहन की कला में फारिया को विश्व में इतनी
अधिक ख्याति मिली कि नेपोलियन बोनापार्ट ने उससे मिलने की ख्वाहिश व्यक्त की। नेपोलियन उसकी इस कला से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उसे अपना विश्वासपात्र सलाहकार भी बना लिया।
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प्रसिद्ध
नेपोलियन और एब्बे फारिया एक बार ग्रेट पिरामिड में सम्राट के
शयनकक्ष में साथ-साथ गए थे, जहाँ फारिया ने सम्राट की ममी से एक पिन निकालकर नेपोलियन
को इस तरह वशीभूत कर दिया कि उसे हैरतअंगेज एवं दिव्य अनुभव प्राप्त हुए। उस दिन से
नेपोलियन उसका भक्त बन
गया। एब्बे फारिया को सम्मोहन कला का 'भीष्म पितामह'
भी कहा जाता है। फ्राँस के
शाही परिवार को जब पता चला कि फारिया सम्मोहन कला का बहुत अच्छा जानकार है तो शाही
महल की एक बीमार महिला के इलाज के लिए उसे बुलाया गया। फारिया ने उसे छूकर चमत्कारी
ढंग से चंगा कर दिया। पूरे देश में यह खबर फैल गई। धीरे-धीरे उसकी कला और चमत्कारी
शक्ति के बारे में काफ़ी चर्चा होने लगी
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