Thursday 25 May 2017

दांते एलीगियरी

दाँते एलीगियरी (26 मई १२६५ – १४ सितंबर१३२१) मध्यकाल के इतालवी कवि थे। ये वर्जिल के बाद इटली के सबसे महान कवि कहे जाते हैं। ये इटली के राष्ट्रकवि भी रहे। उनका सुप्रसिद्ध महाकाव्य डिवाइन कॉमेडिया अपने ढंग का अनुपम प्रतीक महाकाव्य है। इसके अतिरिक्त उनका गीतिकाव्य वीटा न्युओवा, जिसका अर्थ है नया जीवन, अत्यंत मार्मिक कविताओं का एक संग्रह है, जिसमें उन्होंने अपनी प्रेमिका सीट्रिस की प्रेमकथा तथा २३ वर्षों में ही उसके देहावसान पर मार्मिक विरह कथा का वर्णन किया है। इनका जन्म यूरोप में, इटली में हुआ था। ये फ्लोरेंस के नागरिक थे। उनका परिवार प्राचीन था, फिर भी उच्चवर्गीय नहीं था। उनका जन्म उस समय हुआ जब मध्ययुगीन विचारधारा और संस्कृति के पुनरुत्थान का प्रारम्भ हो रहा था। राजनीति के विचारों और कला संबंधी मान्यताओं में भी परिवर्तन हो रहा था।
want to earn money join neobux click here to join
join donkeymails to earn money click here

join clixsense to earn upto 10$ per day click here
दांते केवल कवि और विचारक ही नहीं थे, वरन वे राजनीतिक नेता और प्रशासक भी थे। उन्होंने फ्लोरेंस राज्य पर शासन भी किया। परन्तु उनके कला और काव्य-शास्त्र संबंधी विचार उनकी कृति दे वल्गरी एलोक्युओ में प्राप्त होते हैं। वे उत्कृष्ट कविता से ही संतुष्ट ना होकर यह भी बताते हैं, कि सर्वोत्कृष्ट कविता किन बातों पर निर्भर करती है। प्रेम जैसे विषयों को और लोकभाषाओं को अपनी रचनाओं में महत्त्व प्रदान करके उन्होंने ग्रीक और लैटिन परम्पराओं के विरुद्ध एक क्रांतिकारी पदान्यास किया।
परिचय
आलीग्यारी दाँते की ग्रीक तथा लातीनी साहित्य के सिवा धर्मविज्ञान में भी उसकी विशेष रुचि थी। राजनीति में वह नरम दल का अनुयायी और समर्थक था किंतु सन् १३०१ में जब गुएल्फों के क्रांतिकारी दल द्वारा इसके पक्ष की पराजय हुई, तब दाँते तथा उसके साथियों को देशनिकाले का दंड भोगना पड़ा। इस सजा के बाद दुर्भाग्य से यदि वह फ्लोरेंटाइन सरकार के हाथ पकड़ लिया जाता तो उसके जीवित जला दिए जाने तक की संभावना थी। इस समय से मृत्यु पर्यंत वह एक स्थान से दूसरे और दूसरे से तीसरे एक एक तीर्थयात्री की या करीब करीब एक भिखारी की तरह बराबर भटकता रहा। इन दिनों उसकी स्थिति पतवारविहीन नौका की तरह हो गई थी। दर दर की ठोकरें खाते हुए उसने बड़ी कटुता के साथ अनुभव किया कि दूसरे के घर की रोटी कितनी स्वादहीन होती है और पराए घर की सीढ़ियों पर चढ़ते उतरते रहने में कितनी पीड़ा का अनुभव होता है। सन् १३१६ में फ्लारेंस की ओर से सार्वजनीन राजक्षमा की घोषणा की गई और किन्हीं अपमानजनक शर्तों पर उसे फ्लोरेंस लौटने की अनुमति भी दी गई। उसने इसे ठुकरा दिए और अंत तक प्रवास में ही जीवनयापन का निश्चय किया। सन् १३२१ में रावेन्ना में उसकी मृत्यु हुई और वहीं वह दफनाया गया। रावेन्ना के अधिकारी आज भी उसके शव को उसकी जन्मभूमिवालों को लौटाने के लिए तैयार नहीं, जिन्होंने उसके साथ ऐसा निंदनीय व्यवहार किया था।
want to earn money join neobux click here to join
join donkeymails to earn money click here

join clixsense to earn upto 10$ per day click here
दाँते के जीवन के साथ दो स्त्रियों के नाम घनिष्ठ रूप से संबंद्ध हैं। एक है बियात्रिस पोर्टिनारी और दूसरी जेम्या दोनाती। पहली उसकी युवावस्था की प्रेयसी थी जिसे उसने उस सम देखा था जब वह केवल नौ वर्ष की थी। साइमन डी बार्डी के साथ बियात्रिस का विवाह हो जाने तथा थोड़े ही समय के भीतर सन् १२९० में उसकी मृत्यु हो जाने के बाद भी दाँते उसके अनुराग में डूबा रहा। दूसरी महिला, जेम्या, उसकी विवाहिता पत्नी थी जिसके साथ उसका विवाह सन् १२७७ में हुआ था। दाँते के निर्वासित होने पर उसने उसका साथ नहीं दिया। स्पष्ट है कि दाँते उसके व्यवहार और रंग ढंग से संतुष्ट था और बाद में संभवत: उससे घृणा भी करने लगा था।
want to earn money join neobux click here to join
join donkeymails to earn money click here

join clixsense to earn upto 10$ per day click here
कृतियाँ
लैटिन भाषा:
·         डी वल्गारी एलोक्वेंटा
·         डी मोनार्किया
·         एक्लोग्यूस
·         लेटार्स
इतालवी भाषा:
·         डिवाइन कॉमेडी
·         इन्फर्नो
·         पुर्गातोरियो
·         पैरादिसो
·        ला वीटा न्युओवा
·        ले रिमे
·        कॉन्विवियो

दाँते की रचनाओं की सुविधा की दृष्टि से हम तीन भागों या कालों में बाँट सकते हैं। प्रथम भाग में वे कृतियाँ रखी जा सकती हैं जिनमें यौवन का उत्साह और बियात्रिस के प्रति उसके उत्कट अनुराग का धार्मिक रूपांतरण दृष्टिगोचर होता है। इसकी अवधि मोटे तौर पर १२८३ से १२९० तक मानी जा सकती है। इस काल की सबसे मुख्य रचना विटा नुओवा है। दूसरा भाग वियात्रिस की मृत्यु के बाद शुरू होता है। इसका विस्तार १२९१ से १३१३ तक रखा जा सकता है। इस काल में उसका जीवन निराशा, दु:ख एवं विश्वास पर अस्थायी रूप से तर्कबुद्धि का प्राधान्य छा गया और उसका झुकाव दर्शन तथा विज्ञान की और अधिक हो गया। वह राजनीतिक झगड़ों की कटुता में एक दाँव पेचों या योजनाओं में लिप्त होता गया। इस काल की मुख्य रचनाएँ हैं - दि कॉनवीवियो, दि मॉनर्किया, दि इपिसिल्स आदि। सम्राट् हेनरी सप्तम से दाँते ने बड़ी बड़ी आशाऍ बाँध रखी थी जिनपर उसकी मृत्यु ने पानी फेर दिया। उसकी समस्त योजनाएँ एकाएक समाप्त हो गई किंतु गनीमत यही रही कि वे उसका संपूर्ण हौसला पस्त न कर सकीं। उसने एक बार फिर आध्यात्मिक संतुलन की ओर कदम बढ़ाया। युवावस्था के विचार और विश्वास उसमें पुन: जाग उठे और वह दिवंगत बियात्रिस की पवित्रीभूत आत्मा की उपासना की ओर और भी दृढ़ता से उन्मुख हो उठा। 'डिवाइन कॉमेडी' की कितनी ही कविताओं में इसके प्रमाण बिखरे पड़े हैं। दाँते की रचनाओं का यह तीसरा काल १३१४ से १३२१ तक, याने उसकी मृत्यु के समय तक, माना जा सकता है।
want to earn money join neobux click here to join
join donkeymails to earn money click here

join clixsense to earn upto 10$ per day click here

No comments:

Post a Comment