Thursday 12 January 2017

प्रवासी कौशल विकास योजना – Pravasi Kaushal Vikas Yojana (PKVY)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 09 जनवरी 2017 को एक नयी प्रवासी कौशल विकास योजना (PKVY) की शुरुआत की। यह एक कौशल विकास कार्यक्रम है जो भारतीय युवाओं को विदेशों में रोजगार की मांग पर लक्षित है का शुभारंभ किया।
यह 14 वीं प्रवासी भारतीय दिवस पर भारत के आईटी हब बेंगलुरू, कर्नाटक में आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन के बाद शुरू किया गया था। पुर्तगाली प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा घटना के मुख्य अतिथि थे।
अंतरराष्ट्रीय मानकों की तर्ज पर कौशल विकास के लिए सरकार जल्द प्रवासी कौशल विकास योजना (पीवीकेवाई) शुरू करेगी, जिससे विदेशों में रोजगार के इच्छुक भारतीयों को मदद मिलेगी।
यह अपने प्रशिक्षण के भागीदारों के माध्यम से और विदेश मंत्रालय और केंद्रीय कौशल विकास मंत्री के साथ विचार-विमर्श करके राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा लागू किया जाएगा
विदेश मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने प्रवासी कौशल विकास योजना (skill development scheme) को लागू करने के लिए एक समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
इस योजना के तहत विदेशों में नौकरी की तलाश कर रहे भारतीय कारीगरों को कौशल विकास पेशकश की जाएगी। इस सहमति पत्र के तहत एक एसा ढांचा तैयार किया जाएगा जो हर साल लाखों की संख्या में विदेश जाने वाले भारतीय कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण (skill training) प्रदान करेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मौके पर कहा कि नौकरी देने वाले एजैंटों की मदद से खाड़ी देशों में नौकरी करने जाने वाले प्रवासी भारतीयों को कई बार शोषण का शिकार होना पड़ता है क्योंकि उनके पास जरूरी कौशल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि एेसे में प्रवासी कौशल विकास योजना विदेशों में काम की तलाश करने वाले भारतीय कार्यबल के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
यह योजना भारतीय युवाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए करना है, ताकि जब वे व्यवसाय के लिए अपनी पसंद के एक देश की भूमि पर जाते है तो वे अजनबियों की तरह महसूस नहीं करते हैं।

इस योजना के तहत हासिल कौशल से उनकी रोजगार योग्यता और कमाई की क्षमता बढ़ेगी।  विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश्वर एम. मुले ने कहा, ‘‘हर साल 7 से 8 लाख कर्मी विदेश जाते हैं। इनमें से ज्यादातर जो खाड़ी देशों को जाते हैं उन्हें उस देश के नियम, भाषा, संस्कृति की पूरी जानकारी नहीं होती हैयहां तक कि किसी खास कारोबार के लिए जो कौशल चाहिए होता है वह भी उनके पास नहीं होता है।’’ एसे में प्रवासी कौशल विकास योजना विदेश मंत्रालय का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसके तहत इन कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव , प्रवासी भारतीय मामलों के प्रभाग मनीष गुप्ता ने बताया कि इस योजना पर काम लगभग अंतिम चरण में है। विदेश मंत्रालय (एमईए) और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने पीवीकेवाई लागू करने के लिए जुलाई में एक समझौता ग्यापन पर हस्ताक्षर किये थे।
कार्यक्रम का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मानकों की तर्ज पर विदेश में चुनिंदा क्षेत्रों में रोजगार और नौकरी में भूमिकाओं के इच्छुक भारतीय कार्यबल का प्रशिक्षण एवं प्रमाणीकरण करना है।
उन्होंने बताया कि इस साल के शुरू में भारत और यूरोपीय संघ ने आव्रजन एवं पारगमन के संबंध में एक साझा एजेंडा के संदर्भ में एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया था।
गुप्ता ने बताया कि भारत के पास तीन करोड़ प्रवासी कामगार हैं और पिछले साल इनसे भारत को 70 अरब डॉलर की राशि प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा, लेकिन हम पूरी तरह से इसकी क्षमता का दोहन करने में सक्षम नहीं हैं और सरकार इस पर काम कर रही है।
पीएम मोदी ने कहा कि प्रवासी भारतीय जहां भी रहते हैं, उसे ही कर्मभूमि मानते हैं और वहां विकास के काम में योगदान देते हैं। विदेशों में भारतीयों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए कहा, ‘विदेशों में भारतीयों को केवल संख्या की वजह से नहीं जाना जता है बल्कि उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया जाता है
पीएम मोदी ने एक पीआईओ (भारतीय मूल का व्यक्ति) कार्ड दिखाते हुए कहा कि जहां तक किसी भी व्यक्ति के भारत के संबंध का सवाल है, यह कार्ड पासपोर्ट की जगह लेगा। मोदी ने प्रवासी दिवस में जुटी भारी भीड़ से कहा, ‘हम पासपोर्ट का रंग नहीं देखते, खून का रिश्ता देखते हैं

मोदी ने कहा, ‘एनआरआई और पीआईओ ने उल्लेखनीय योगदान दिए हैं। इनमें बड़े कद के नेता, ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक, उत्कृष्ट डॉक्टर, प्रतिभाशाली शिक्षाविद्, अर्थशास्त्री, पत्रकार, संगीतकार, इंजीनियर, बैंकर और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ शामिल हैं

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