Friday 27 January 2017

थॉमस ऐल्वा एडीसन

पूरा नाम –  थॉमस अल्वा एडिसन
जन्म    –  11 फ़रवरी 1847
जन्मस्थान– मिलन, ऑहियोसंयुक्त राज्य अमेरिका
पिता    –  सेमुअल ओग्डेन एडिसन
माता    –  नैंसी मैथ्यु इलियट
विवाह –  मैरी स्टिलवेल (m. 1871–84), मीना मिलर (m. 1886–1931)
थॉमस एल्वा एडिसन (११ फ़रवरी १८४७ - १८ अक्टूबर १९३१) महान अमरीकी  आविष्कारक एवं व्यवसायी थे। आज आपके कमरे  में  जो  bulb रौशनी  करता  है ,उसका आविष्कार  Thomas Alva Edison ने किया  था  एडिसन ने फोनोग्राफ एवं विद्युत बल्ब सहित अनेकों युक्तियाँ विकसित कीं जिनसे संसार भर में लोगों के जीवन में भारी बदलाव आये। "मेन्लो पार्क के जादूगर" के नाम से प्रख्यात, भारी मात्रा में उत्पादन के सिद्धान्त एवं विशाल टीम को लगाकर अन्वेषण-कार्य को आजमाने वाले वे पहले अनुसंधानकर्ता थे। इसलिये एडिसन को ही प्रथम औद्योगिक प्रयोगशाला स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। अमेरिका में अकेले १०९३ पेटेन्ट कराने वाले एडिसन विश्व के सबसे महान आविष्कारकों में गिने जाते हैं।

आरम्भिक जीवन

महान् आविष्कारक टामस ऐल्वा एडिसन का जन्म ओहायो राज्य के मिलैन नगर में 11 फ़रवरी 1847 ई. को हुआ। और ह्यूरोन मिशिगन में वे बड़े हुए। वे सेमुअल ओग्डेन एडिसन और नैंसी मैथ्यु इलियट के सातवे और अंतिम पुत्र थे उनका पैतृक परिवार डच था, जिनका पुराने समय से ही उपनाम “एडिसन” था।
 विद्युत् बल्ब के जनक के नाम से मशहूर Edison को शुरू में फिस्सड्डी और मंद बुद्धि बालक समझा जाता था ,लेकिन निरंतर परिश्रम के बल पर एक दिन उन्होंने अपने  अविष्कार से सारी दुनिया प्रकाशमय कर दी बचपन से ही एडिसन ने कुशाग्रता, जिज्ञासु वृत्ति और अध्यवसाय का परिचय दिया। वे  अधिकांश  समय अपनी प्रयोगशाला में बिताते थे अविष्कारों को लेकर उनके जूनून को देखकर  लोग उन्हें सनकी और पागल तक समझने लगे थे। बचपन में भी वे अजीब हरकतो के लिए जेन जाते थे कहा जाता है कि एक बार चिड़ियों  को कीड़े खाते देख उन्होंने यह सोचा कि उड़ने के लिए कीड़े खाना शायद जरुरी है बस कुछ कीड़े इकट्ठे कर उसका घोल बनाकर उसे अपने दोस्त को  पिलाने  कि कोशिश की वे देखना चाहते थे कि उनका दोस्त इसके बाद उड़ने लगेगा या नहीं जाहिर है कि उन्हें सबने खूब डांटा और उनपर पाबंदिया भी लगाई गई पर उनकी इसी जिज्ञासु प्रवित्ति ने दुनिया बदल दी 
 छह वर्ष तक माता ने घर पर ही पढ़ाया, सार्वजनिक विद्यालय में इनकी शिक्षा केवल तीन मास हुई। तो भी एडिसन ने ह्यूम, सीअर, बर्टन, तथा गिबन के महान ग्रंथों एवं डिक्शनरी ऑव साइंसेज़ का अध्ययन 10वें जन्मदिन तक पूर्ण कर लिया था।
एडिसन 12 वर्ष की आयु में फलों और समाचारपत्रों के विक्रय का धंधा करके परिवार को प्रति दिन एक डालर की सहायता देने लगे। वे रेल में पत्र छापते और वैज्ञानिक प्रयोग करते। तार प्रेषण में निपुणता प्राप्त कर 20 वर्ष की आयु तक, एडिसन ने तार कर्मचारी के रूप में नौकरी की। जीविकोपार्जन से बचे समय को एडिसन प्रयोग और परीक्षण में लगाते थे।
स्कूल में युवा एडिसन का दिमाग बहोत ही भ्रमित था और उनके शिक्षक रेवेरेंड इंगले उन्हेंव्याकुलकहकर बुलाते थे। और लगभग पुरे 3 महीने एडिसन ने स्कूल में बिताये। बाद में उनकी माता ने एडिसन को घर पर ही पढाना शुरू किया। एडिसन ने अपनी ज्यादातर शिक्षा आर.जी. पार्कर स्कूल से और दी कूपर यूनियन स्कूल ऑफ़ साइंस एंड आर्ट से ग्रहण किया।
एडिसन को बचपन से ही सुनने में तकलीफ होती थी। ये सब तब से चल रहा था जब से बचपन में उन्हें एक तेज़ बुखार आया था और उस से उबरते समय उनके दाहिने कान में चोट गयी थी। तभी से उन्हें सुनने में थोड़ी-बहोत परेशानी होती थी। उनके करियर के मध्य, उन्होंने अपनी बीमारी के बारे में बताया की जब वे ट्रेन में सफ़र कर रहे थे तभी एक केमिकल में आग लग गयी, जिस वजह से वे ट्रेन के बाहर फेके गये और उनके कान में चोट गयी। कुछ साल बाद ही, उन्होंने इस कहानी को तोड़ते हुए एक नहीं कहानी बनाई और कहने लगे की जब चलती ट्रेन में कंडक्टर उनकी मदद कर रहा था, तभी अचानक उनके कान में चोट लगी थी।
कान की बीमारी से पीड़ित होने के बाद भी अल्प मनोरंजन, निरंतर, परिश्रम, असीम धैर्य, आश्चर्यजनक स्मरण शक्ति, और अनुपम कल्पना शक्ति द्वारा एडिसन ने इतनी सफलता पायी। वे एक वैज्ञानिक ही नही बल्कि एक सफल उद्यमी भी थे। वे हर दिन अपने काम करने के बाद बचे समय को प्रयोग और परिक्षण में लगते थे। उन्होंने अपनी कल्पना शक्ति और स्मरण शक्ति का उपयोग अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में लगाया। उनके इसी टैलेंट की बदौलत उन्होंने 14 कंपनियों की स्थापना की जिनमे जनरल इलेक्ट्रिक भी शामिल है, जो आज भी दुनिया की सबसे बड़ी व्यापर करने वाली कंपनी के नाम से जानी जाती है।
अनुसंधानओं का आरम्भ
1869 ई. में एडिसन ने अपने सर्वप्रथम आविष्कार "विद्युत् मतदानगणक" को पेटेंट कराया। नौकरी छोड़कर प्रयोगशाला में आविष्कार करने का निश्चय कर निर्धन एडिसन ने अदम्य आत्मविश्वास का परिचय दिया। 1870-76 ई. के बीच एडिसन ने अनेक आविष्कार किए। एक ही तार पर चार, छह, संदेश अलग अलग भेजने की विधि खोजी, स्टाक एक्सचेंज के लिए तार छापने की स्वचालित मशीन को सुधारा, तथा बेल टेलीफोन यंत्र का विकास किया। उन्होंने 1875 ई. में "सायंटिफ़िक अमेरिकन" में "ईथरीय बल" पर खोजपूर्ण लेख प्रकाशित किया; 1878 ई. में फोनोग्राफ मशीन पेटेंट कराई जिसकी २०10 ई. में अनेक सुधारों के बाद वर्तमान रूप मिला।
21 अक्टूबर 1879 ई. को एडिसन ने 40 घंटे से अधिक समय तक बिजली से जलनेवाला निर्वात बल्ब विश्व को भेंट किया। 1883 ई. में "एडिसन प्रभाव" की खोज की, जो कालांतर में वर्तमान रेडियो वाल्व का जन्मदाता सिद्ध हुआ। अगले दस वर्षो में एडिसन ने प्रकाश, उष्मा और शक्ति के लिए विद्युत् के उत्पादन और त्रितारी वितरण प्रणाली के साधनों और विधियों पर प्रयोग किए; भूमि के नीचे केबुल के लिए विद्युत् के तार को रबड़ और कपड़े में लपेटने की पद्धति ढूँढी; डायनामी और मोटर में सुधार किए; यात्रियों और माल ढोने के लिए विद्युत् रेलगाड़ी तथा चलते जहाज से संदेश भेजने और प्राप्त करने की विधि का आविष्कार किया। एडिसन ने क्षार संचायक बैटरी भी तैयार की; लौह अयस्क को चुंबकीय विधि से गहन करने का प्रयोग किए, 1891 ई. में चलचित्र कैमरा पेटेंट कराया एवं इन चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए किनैटोस्कोप का आविष्कार किया।
प्रथम विश्वयुद्ध में एडिसन ने जलसेना सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष बनकर 40 युद्धोपयोगी आविष्कार किए। पनामा पैसिफ़िक प्रदर्शनी ने 21 अक्टूबर 1915 ई. को एडिसन दिवस का आयोजन करके विश्वकल्याण के लिए सबसे अधिक अविष्कारों के इस उपजाता को संमानित किया। 1927 ई. में एडिसन नैशनल ऐकैडमी ऑव साइंसेज़ के सदस्य निर्वाचित हुए। 21 अक्टूबर 1929 को राष्ट्रपति दूसरे ने अपने विशिष्ट अतिथि के रूप में एडिसन का अभिवादन किया।
एडिसन एक महान अविष्कारक थे उनके इन सभी पेटेंट्स का उनके अविशाकारो पर बहोत प्रभाव पड़ा। उनके पेटेंट्स के साथ ही उनके आविष्कार भी उस समय काफी प्रचलित होने लगे थे, जिनमे इलेक्ट्रिक लाइट और पॉवर यूटिलिटीज, साउंड रिकॉर्डर और मोशन पिक्चर भी शामिल है, जिन्होए बड़ी तेज़ी से पूरी दुनिया में प्रसिद्धि पायी। एडिसन के अविष्कारों में हमें अधिकतर मॉस-कम्युनिकेशन और टेली-कम्युनिकेशन से संबंध दिखाई देने लगता है। इसमें स्टॉक स्टीकर, वोट रिकॉर्ड करने की मशीन, इलेक्ट्रिक कार के लिए बैटरी, इलेक्ट्रिक पॉवर रिकॉर्डर और मोशन पिक्चर भी शामिल है।

अन्तिम समय

मेनलोपार्क और वेस्ट ऑरेंज के कारखानों में एडिसन ने 50 वर्ष के अथक परिश्रम से 1,093 आविष्कारों को पेटेंट कराया। अनवरत कर्णशूल से पीड़ित रहने पर भी अल्प मनोरंजन, निरंतर परिश्रम, असीम धैर्य, आश्चर्यजनक स्मरण शक्ति और अनुपम कल्पना शक्ति द्वारा एडिसन ने इतनी सफलता पाई। मृत्यु को भी उन्होंने गुरुतर प्रयोगों के लिए दूसरी प्रयोगशाला में पदार्पण समझा। ""मैंने अपना जीवनकार्य पूर्ण किया। अब मैं दूसरे प्रयोग के लिए तैयार हूँ"", इस भावना के साथ विश्व की इस महान उपकारक विभूति ने 18 अक्टूबर 1931 को संसार से विदा ली।
थॉमस एडिसन का हमेशा से ही यह कहना था कि, हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है, सफल होने का सबसे निच्छित तरीका है की हमेशा एक और बार प्रयास करना। क्यू की जब आप असफल होते होते हो और अपने काम को छोड़ देते हो, तब आप सफलता के बहोत करीब होते हो।

एडिसन जानते थे, केवल एक अच्छी युक्ति पर्याप्त नहीं, बल्कि सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कठोर परिश्रम की जरुरत होती है। यही कारण है, एडिसन का कहना है - "प्रतिभा, 1% प्रेरणा और 99% पसीना है।"

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