उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए'
भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती, अर्थात १२
जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस सन्दर्भ में भारत सरकार का विचार था कि -
ऐसा अनुभव हुआ कि स्वामी जी का दर्शन एवं स्वामी जी के जीवन
तथा कार्य के पश्चात निहित उनका आदर्श—यही भारतीय युवकों के लिए प्रेरणा का बहुत
बड़ा स्रोत हो सकता है।
इस दिन देश भर के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में तरह-तरह
के कार्यक्रम होते हैं; रैलियाँ निकाली जाती हैं; योगासन की स्पर्धा आयोजित की
जाती है; पूजा-पाठ होता है; व्याख्यान होते हैं; विवेकानन्द साहित्य की प्रदर्शनी
लगती है।
महत्व
वास्तव में स्वामी विवेकानन्द आधुनिक मानव के आदर्श
प्रतिनिधि हैं। विशेषकर भारतीय युवकों के लिए स्वामी विवेकानन्द से बढ़कर दूसरा
कोई नेता नहीं हो सकता। उन्होंने हमें कुछ ऐसी वस्तु दी है जो हममें अपनी
उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त परम्परा के प्रति एक प्रकार का अभिमान जगा देती
है। स्वामी जी ने जो कुछ भी लिखा है वह हमारे लिए हितकर है और होना ही चाहिए तथा
वह आने वाले लम्बे समय तक हमें प्रभावित करता रहेगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप
में उन्होंने वर्तमान भारत को दृढ़ रूप से प्रभावित किया है। भारत की युवा पीढ़ी
स्वामी विवेकानन्द से निःसृत होने वाले ज्ञान, प्रेरणा एवं तेज के स्रोत से लाभ
उठाएगी।
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