Friday 13 January 2017

चंगेज़ ख़ान एक क्रुर योद्धा

चंगेज़ ख़ान
चंगेज़ ख़ान  सन् 1162  18 अगस्त1227) एक मंगोल ख़ान (शासक) था जिसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। वह अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए प्रसिद्ध हुआ। इससे पहले किसी भी यायावर जाति के व्यक्ति ने इतनी विजय यात्रा नहीं की थी।
प्रारंभिक जीवन
चंगेज़ खान का जन्म ११६२ के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। चंगेज़ खान की दांयी हथेली पर पैदाइशी खूनी धब्बा था। उसके तीन सगे भाई व एक सगी बहन थी और दो सौतेले भाई भी थे। उसका वास्तविक या प्रारंभिक नाम तेमुजिन (या तेमूचिन) था। मंगोल भाषा में तिमुजिन का मतलब लौहकर्मी होता है। उसकी माता का नाम होयलन और पिता का नाम येसूजेई  था जो कियात कबीले का मुखिया था। येसूजेई ने विरोधी कबीले की होयलन का अपहरण कर विवाह किया था। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही येसूजेई की हत्या कर दी गई। उसके बाद तेमूचिन की माँ ने बालक तेमूजिन तथा उसके सौतले भाईयों बहनों का लालन पालन बहुत कठिनाई से किया। बारह वर्ष की आयु में तिमुजिन की शादी बोरते के साथ कर दी गयी। इसके बाद उसकी पत्नी बोरते का भी विवाह् के बाद ही अपहरण कर लिया था। अपनी पत्नी को छुडाने के लिए उसे लड़ाईया लड़नी पड़ीं थी। इन विकट परिस्थितियों में भी वो दोस्त बनाने में सक्षम रहा। नवयुवक बोघूरचू उसका प्रथम मित्र था और वो आजीवन उसका विश्वस्त मित्र बना रहा। उसका सगा भाई जमूका भी उसका एक विश्वसनीय साथी था। तेमुजिन ने अपने पिता के वृद्ध सगे भाई तुगरिल उर्फ़ ओंग खान के साथ पुराने रिश्तों की पुनर्स्थापना की।
सैनिक जीवन
जमूका हँलांकि प्रारंभ में उसका मित्र था, बाद में वो शत्रु बन गया। ११८० तथा ११९० के दशकों में वो ओंग ख़ान का मित्र रहा और उसने इस मित्रता का लाभ जमूका जैसे प्रतिद्वंदियों को हराने के लिए किया। जमूका को हराने के बाद उसमें बहुत आत्मविश्वास आ गया और वो अन्य कबीलों के खिलाफ़ युद्ध के लिए निकल पड़ा। इनमें उसके पिता के हत्यारे शक्तिशाली तातार कैराईट और खुद ओंग खान शामिल थे। ओंग ख़ान के विरूद्ध उसने १२०३ में युद्ध छेड़ा। १२०६ इस्वी में तेमुजिन, जमूका और नेमन लोगों को निर्णायक रूप से परास्त करने के बाद स्टेपी क्षेत्र का सबसे प्रभावशाली व्य़क्ति बन गया। उसके इस प्रभुत्व को देखते हुए मंगोल कबीलों के सरदारों की एक सभा (कुरिलताई) में मान्यता मिली और उसे चंगेज़ ख़ान (समुद्री खान) या सार्वभौम शासक  की उपाधि देने के साथ महानायक घोषित किया गया।
कुरिलताई से मान्यता मिलने तक वो मंगोलों की एक सुसंगठित सेना तैयार कर चुका था। उसकी पहली इच्छा चीन पर विजय प्राप्त करने की थी। चीन उस समय तीन भागों में विभक्त था - उत्तर पश्चिमी प्रांत में तिब्बती मूल के सी-लिया लोगजरचेन लोगों का चीन राजवंश जो उस समय आधुनिक बीजिंग के उत्तर वाले क्षेत्र में शासन कर रहे थे तथा शुंग राजवंश जिसके अंतर्गत दक्षिणी चीन आता था। १२०९ में सी लिया लोग परास्त कर दिए गए। १२१३ में चीन की महान दीवीर का अतिक्रमण हो गया और १२१५ में पेकिंग नगर को लूट लिया गया। चिन राजवंश के खिलाफ़ १२३४ तक लड़ाईयाँ चली पर अपने सैन्य अभियान की प्रगति भर को देख चंगेज़ खान अपने अनुचरों की देखरेख में युद्ध को छोड़ वापस मातृभूमि को मंगोलिया लौट गया।
सन् १२१८ में करा खिता की पराजय के बाद मंगोल साम्राज्य अमू दरिया, तुरान और ख्वारज़्म राज्यों तक विस्तृत हो गया। १२१९-१२२१ के बीच कई बड़े राज्यों - ओट्रारबुखारासमरकंदबल्ख़गुरगंजमर्वनिशापुर और हेरात - ने मंगोल सेना के सामने समर्पण कर दिया। जिन नगरों ने प्रतिशोध किया उनका विध्वंस कर दिया गया। इस दौरान मंगोलों ने बेपनाह बर्बरता का परिचय दिया और लाखों की संख्या में लोगों का वध कर दिया।
भारत की ओर प्रस्थान
चंगेज खान ने गजनी और पेशावर पर अधिकार कर लिया तथा ख्वारिज्म वंश के शासक अलाउद्दीन मुहम्मद को कैस्पियन सागर की ओर खदेड़ दिया जहाँ १२२० में उसकी मृत्यु हो गई। उसका उत्तराधिकारी जलालुद्दीन मंगवर्नी हुआ जो मंगोलों के आक्रमण से भयभीत होकर गजनी चला गया। चंगेज़ खान ने उसका पीछा किया और सिन्धु नदी के तट पर उसको हरा दिया। जलालुद्दीन सिंधु नदी को पार कर भारत आ गया जहाँ उसने दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश से सहायता की फरियाद रखी। इल्तुतमिश ने शक्तिशाली चंगेज़ ख़ान के भय से उसको सहयता देने से इंकार कर दिया।
इस समय चेगेज खान ने सिंधु नदी को पार कर उत्तरी भारत और असम के रास्ते मंगोलिया वापस लौटने की सोची। पर असह्य गर्मी, प्राकृतिक आवास की कठिनाईयों तथा उसके शमन निमितज्ञों द्वारा मिले अशुभ संकेतों के कारण वो जलालुद्दीन मंगवर्नी के विरुद्ध एक सैनिक टुकड़ी छोड़ कर वापस आ गया। इस तरह भारत में उसके न आने से तत्काल भारत एक संभावित लूटपाट और वीभत्स उत्पात से बच गया।
अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्ध में व्यतीत करने के बाद सन् १२२७ में उसकी मृत्यु हो गई।

चंगेज़ खान के बारे में रोचक तथ्य-

उत्तरी एशिया में उन्होंने अपनी संगठन शक्ति से बहोत से खानाबदोश समुदाय का विस्तार कर रखा था. बाद में कुछ समय बाद उन्होंने मंगोल साम्राज्य की स्थापना की और फिर चंगेज खान के नाम से प्रसिद्ध हुए. बाद में उन्होंने मंगोल आक्रमण शुरू किया जिसमे उन्हें विजय प्राप्त हुई और परिणामस्वरूप उन्होंने यूरोपीय एशिया पर धावा बोल दिया. इसमें करा खितई, काकेशस, खवारेजमिद साम्राज्य, पश्चिमी क्सिया और राजवंश पर किये गए आक्रमण भी शामिल है. उनके इस अभियान ने काफी समुदाय और लोहगो का जनसंहार (रक्तपात) किया था- जिनमे विशेष रूप से ख्वारेजमिन और क्सिया की जमीन शामिल है. उनके जीवन के अंत तक, मंगोल साम्राज्य ने मध्य एशिया और चाइना के अधिकतर भागो को हासिल कर लिया था.
अपनी मृत्यु से पहले, ओगेदी खान को अपना उत्तराधाकारी बनाया था. पश्चिमी क्सिया को पराजित करने के बाद 1227 में उनकी मृत्यु हुई थी. उन्हें उनके ही मंगोलिया साम्राज्य में किसी जगह पर दफनाया गया था. अपने शासनकाल में उन्होंने मंगोलिया साम्राज्य की पहचान पुरे विश्व को करवाई थी और एक विशाल और सशक्त साम्राज्य का निर्माण किया था. मध्य एशिया और चाइना का अधिकतर भाग अपने वश में कर लिया था, जिस वजह से ज्यादा से ज्यादा लोग उनके साम्राज्य में रहने लगे थे. और अपने इसी रवैये के कारण स्थानिक इतिहास में चंगेज खान की पहचान एक भयंकर शासक के रूप में की जाती है.
अपनी सेना और साम्राज्य के विस्तार के अलावा, चंगेज खान / Changez Khan ने मंगोल साम्राज्य को दूसरी बातो में भी विस्तृत किया. चंगेज खान ने उस समय उयघुर लिपि को भी अपनाया और उसे अपने मंगोलिया साम्राज्य में लिखने के लिए उपयोग करने लगे थे. उनकी विजयो के इतिहास को देखकर यही कहा जा सकता है की इससे पहले इतनी विजय की यात्रा किसी ने नहीं की होगी. मंगोलिया साम्राज्य के स्थानिक लोग उनके कहर से इतने भयभीत थे की उन्होंने चंगेज खान को खुदा का कहर भी कहा था. चंगेज खान एक होशियार और सावधान आदमी था और हर बड़े काम को हाथ में लेने से पहले उस पर विचार और पूरी तैयारी कर लेता था. उत्तरी एशिया, दक्षिण मुस्लिम, दक्षिण एशिया और क्रिस्चियन यूरोप में ही नही बल्कि भारत में चंगेज खान का नाम प्रसिद्ध है.
चंगेज़ खान का नाम हम सबने सुना है और इस बर्बर लड़ाके की क्रूरता और युद्ध कुशलता के किस्से-कहानियों से इतिहास भरा पड़ा है।
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वीं और 14 वीं सदी में विशाल साम्राज्य खडा करने वाला मंगोल शासक चंगेज खान इतिहास का सबसे बड़ाहमलावर था। इस क्रूर मंगोल योद्धा ने अपने हमलों में इस कदर खूनखराबा किया कि बडी आबादी का सफाया हो गया। आइए जानते हैं इसकी क्रूरता से जुड़े कुछ किस्से-
1. चंगेज खान मंगोलियाई नाम चिंगिस खान था, वह एक मंगोल खान शासक था।
उसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। वह अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए प्रसिद्ध हुआ। इससे पहले किसी भी यायावर जाति के व्यक्ति ने इतनी विजय यात्रा नहीं की थी। 
2. चंगेज खान का जन्म 1162 के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था।
चंगेज खान की दांयी हथेली पर पैदाइशी खूनी धब्बा था, जिसे देख भविष्यवक्ताओं ने कहा था की ये बहुत बड़ा शासक बनेगा। उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन (या तेमूचिन) था। मंगोल भाषा में तिमुजिन का मतलब लौहकर्मी होता है। उसकी माता का नाम होयलन और पिता का नाम येसूजेई था। 
3. अपनी पत्नी को छुडाने के लिए उसे कई लड़ाइयां लड़नी पड़ी थी।
येसूजेई ने विरोधी कबीले की होयलन का अपहरण कर विवाह किया था। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही येसूजेई की हत्या कर दी गई। बारह वर्ष की आयु में तिमुजिन की शादी बोरते के साथ कर दी गयी। इसके बाद उसकी पत्नी बोरते का विवाह के बाद ही अपहरण हो गया था।

4. चंगेज खान ने अपनी तलवार के दम पर समूचे एशिया को जीत लिया था।
वो भारत भी आया, लेकिन सिंधु नदी के तट से दिल्ली के सुल्तान इल्तुमिश के हार मानने के बाद वापस लौट गया। उसकी योजना थी कि वो भारत को रौंदते हुए भारत के बीच से गुजरे और असम के रास्ते मंगोलिया लौट जाए। लेकिन बीमार होने की वजह से वो सिंधु को पार कर उत्तर की ओर ही लौट गया।
5. क्रूर योद्धा चंगेज खान की बात करें, तो उसने अपने जीवन भर की लड़ाइयों में लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
उसकी निर्दयता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि वो जिधर से निकलता, वहां थोड़ा सा भी विरोध होने पर आस-पास के इलाकों को भी खून से लथपथ कर देता था। उसकी इसी निर्दयता के कारण पश्चिम एशिया तक के राजाओं ने उसके सामने हार मान ली। 
6. उसने ईरान की तीन चौथाई आबादी का समूल खात्मा कर दिया था।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि चंगेज के हमले के समय जितनी आबादी पूरे ईरान की थी, उतनी आबादी वापस होने में 750 सालों का लंबा समय लगा। ऐसे में ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि चंगेज खान कितना क्रूर और निर्दयी था। 
7. एक अनुमान के मुताबिक उसने 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
चंगेज खान के बारे में एक बात और उल्लेखनीय है, और वो है चीन की दीवार को पार कर बीजिंग को लूटना और अपने जीवन के आखिरी समय में इस्लाम धर्म को स्वीकार करना। चंगेज खान पश्चिमी एशिया विजय के दौरान इस्लाम के संपर्क में आया और उसने इस्लाम स्वीकार कर लिया।

 
8. तेमुजिन की अधीनता स्वीकार करने के बाद तमाम कबीलों के राजाओं ने उसे चंगेज खान (समुद्रों के राजा) की उपाधि दी।
चंगेज खान ने ही प्रसिद्ध मंगोल साम्राज्य की नींव डाली। जिसका पूरी दुनिया के 22 फीसदी इलाके पर कब्जा था। अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्ध में व्यतीत करने के बाद सन् 1227 में उसकी मृत्यु हो गई।


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