Wednesday 11 January 2017

भारतीय गणतंत्र दिवस का इतिहास, महत्व एवं मुख्य अतिथियों की सूची

गणतंत्र दिवस:
भारत में 26 जनवरी को हर वर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन 1950 में ये लागू हुआ था। भारतीय संविधान ने 1935 के अधिनियम को बदल कर खुद को भारत के संचालक दस्तावेज़ के रुप में स्थापित किया था। इस दिन को भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय अवकाश के रुप में घोषित किया गया है। भारतीय संवैधानिक सभा द्वारा नये भारतीय संविधान की रुप-रेखा तैयार हुई और स्वीकृति मिली तथा भारत के गणतांत्रिक देश बनने की खुशी में इसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाने की घोषणा हुई।
गणतंत्र दिवस 2017 के मुख्य अतिथि:
भारत के गणतंत्र दिवस 2017 के, मुख्य अतिथि अबु धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहमद बिन ज़ायेद अल नाह्यान है। भारत के 68वें गणतंत्र दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर अबु धाबी के क्राउन प्रिंस को आमंत्रित किया गया था और उन्होंने इस आमंत्रण को स्वीकार किया।
गणतंत्र दिवस मनाने का इतिहास:
सन १९२९ के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार २६ जनवरी १९३० तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश(डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा। २६ जनवरी १९३० तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक २६ जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। तदनंतर स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन १५ अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। २६ जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए विधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई।

26 जनवरी मनाने का महत्व:
गणतंत्र दिवस स्वतंत्र भारत के लिये सच्चे साहस का प्रतीक है जहाँ सैन्य परेड, सैन्य सामानों की प्रदर्शनी, भारतीय राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय झंडे को सलामी और इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है। भारतीय झंडे में क्षैतिज दिशा में तीन रंग होते हैं (सबसे ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद तथा अंत में हरा, सभी रंग बराबर अनुपात में होता है) और बीच में एक चक्र होता है (नीले रंग में 24 तिलियों के साथ) जो अशोका की राजधानी सारनाथ के शेर को दिखाता है।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न संस्कृति, समाज, धर्म और भाषा के लोग सद्भावपूर्णं ढंग से एक साथ रहते हैं। भारत के लिये स्वतंत्रता बड़े गर्व की बात है क्योंकि विभिन्न मुश्किलों और बाधाओं को पार करने के वर्षों बाद ये प्राप्त हुई थी।
भारतीय गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि:
हर साल की तरह, मुख्य अतिथि के रुप में दूसरे देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को अपने गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित करके उनका स्वागत के द्वाराअतिथि देवो भव:” की महान भारतीय परंपरा और संस्कृति का अनुसरण भारत करता रहा है। नीचे आपको भारत के पहले गणतंत्रता दिवस 1950 से लेकर 2017 तक के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथियों की सूची उपलब्ध करायी जा रही है:-
भारतीय गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथियों की सूची:
वर्ष
पद और मुख्य अतिथि का नाम
सम्बंधित देश
2017
क्राउन प्रिंस, शेख मोहमद बिन ज़ायेद अल नाह्यान
अबु धाबी
2016
राष्ट्रपति, फ्रांस्वा ओलांद
फ्राँस
2015
राष्ट्रपति, बराक ओबामा
यूएसए
2014
प्रधानमंत्री, शिंजों आबे
जापान
2013
राजा, जिग्मे केसर नामग्याल वाँगचुक
भूटान
2012
प्रधानमंत्री, यिंगलुक शिनवात्रा
थाईलैंड
2011
राष्ट्रपति, सुसीलो बमबंग युद्धोयुनो
इंडोनेशिया
2010
राष्ट्रपति, ली म्यूंग बक
कोरिया गणराज्य
2009
राष्ट्रपति, नूरसुलतान नजरबयेव
कज़ाकिस्तान
2008
राष्ट्रपति, निकोलस सरकोजी
फ्रांस
2007
राष्ट्रपति, व्लादिमीर पुतिन
रुस
2006
राजा, अब्दुल्ला बिन अब्दुल्लाजिज़ अल-सऊद
सऊदी अरेबिया
2005
राजा, जिग्मे सिंघे वाँगचुक
भूटान
2004
राष्ट्पति, लूइज़ इनैसियो लूला दा सिल्वा
ब्राजील
2003
राष्ट्पति, मोहम्मदम खतामी
इरान
2002
राष्ट्पति, कसाम उतीम
मॉरीशस
2001
राष्ट्पति, अब्देलाज़िज बुटेफ्लिका
अलजीरीया
2000
राष्ट्पति, ओलूसेगुन ओबाझाँजो
नाइजीरिया
1999
राजा बिरेन्द्र बीर बिक्रम शाह देव
नेपाल
1998
राष्ट्रपति, जैक्स चिराक
फ्रांस
1997
प्रधानमंत्री, बासदियो पांडेय
त्रिनीनाद और टोबैगो
1996
राष्ट्रपति, डॉ फरनॉनडो हेनरिक कारडोसो
ब्राजील
1995
राष्ट्रपति, नेल्सन मंडेला
दक्षिण अफ्रिका
1994
प्रधानमंत्री, गोह चोक टोंग
सिंगापुर
1993
प्रधानमंत्री, जॉन मेजर
यूके
1992
राष्ट्रपति, मारियो सोर्स
पुर्तगाल
1991
राष्ट्रपति, मौमून अब्दुल गयूम
मालदीव
1990
प्रधानमंत्री, अनिरुद्ध जुगनौत
मॉरीशस
1989
गुयेन वैन लिंह
वियतनाम
1988
राष्ट्रपति, जुनियस जयवर्द्धने
श्रीलंका
1987
राष्ट्रपति, ऐलेन गार्सिया
पेरु
1986
प्रधानमंत्री, एँड्रियास पपनड्रीयु
ग्रीस
1985
राष्ट्रपति, रॉल अलफोन्सिन
अर्जेन्टीना
1984
राजा जिग्मे सिंघे वाँगचुक
भूटान
1983
राष्ट्रपति, सेहु शगारी
नाइजीरिया
1982
राजा, जॉन कार्लोस प्रथम
स्पेन
1981
राष्ट्रपति, जोस लोपेज़ पोरेटील्लो
मेक्सिको
1980
राष्ट्रपति, वलेरी गिस्कार्ड इस्टेइंग
फ्रांस
1979
प्रधानमंत्री, मलकोल्म फ्रेज़र
ऑस्ट्रेलिया
1978
राष्ट्रपति, पैट्रीक हिलेरी
ऑयरलौंड
1977
प्रथम सचिव, एडवर्ड गिरेक
पौलैण्ड
1976
प्रधानमंत्री, जैक्स चिराक
फ्रांस
1975
राष्ट्रपति, केनेथ कौंडा
जांबिया
1974
राष्ट्रपति, जोसिप ब्रौज टीटो
यूगोस्लाविया
प्रधानमंत्री, सिरीमावो रतवत्ते दियास बंदरनायके
श्रीलंका
1973
राष्ट्रपति, मोबुतु सेस सीको
जैरे
1972
प्रधानमंत्री, सीवुसागर रामगुलाम
मॉरीशस
1971
राष्ट्रपति, जुलियस नीयरेरे
तंजानिया
1970
 –
1969
प्रधानमंत्री, टोडर ज़िकोव
बुल्गारिया
1968
प्रधानमंत्री, एलेक्सी कोज़ीगिन
सोवियत यूनियन
राष्ट्रपति, जोसिप ब्रोज टीटो
यूगोस्लाविया
1967
 –
1966
 –
1965
खाद्य एवं कृषि मंत्री, राना अब्दुल हामिद
पाकिस्तान
1964
 –
1963
राजा, नोरोदम शिनौक
कंबोडिया
1962
 –
1961
रानी, एलिज़ाबेथ द्वितीय
यूके
1960
राष्ट्रपति, क्लिमेंट वोरोशिलोव
सोवियत संघ
1959
 –
1958
मार्शल यि जियानयिंग
चीन
1957
 –
1956
 –
1955
गर्वनर जनरल, मलिक गुलाम मोहम्मद
पाकिस्तान
1954
राजा, जिग्मे दोरजी वाँगचुक
भूटान
1953
 –
1952
 –
1951
 –
1950
राष्ट्रपति, सुकर्नों
इंडोनेशिया
यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाश में से एक है, अन्य दो स्‍वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती है।
गणतंत्र दिवस समारोह २६ जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराया जाता हैं और इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है। गणतंत्र दिवस को पूरे देश में विशेष रूप से राजधानी दिल्ली में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर के महत्व को चिह्नित करने के लिए हर साल एक भव्य परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन (राष्ट्रपति के निवास) तक राजपथ पर राजधानी, नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है। इस भव्य परेड में भारतीय सेना के विभिन्न रेजिमेंट, वायुसेना, नौसेना आदि सभी भाग लेते हैं| इस समारोह में भाग लेने के लिए देश के सभी हिस्सों से राष्ट्रीय कडेट कोर व विभिन्न विद्यालयों से बच्चे आते हैं, समारोह में भाग लेना एक सम्मान की बात होती है |परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति (सैनिकों के लिए एक स्मारक) जो राजपथ के एक छोर पर इंडिया गेट पर स्थित है पर पुष्प माला डालते हैं| इसके बाद शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट मौन रखा जाता है। यह देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़े युद्ध व स्वतंत्रता आंदोलन में देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के बलिदान का एक स्मारक है। इसके बाद प्रधानमंत्री, अन्य व्यक्तियों के साथ राजपथ पर स्थित मंच तक आते हैं, राष्ट्रपति बाद में अवसर के मुख्य अतिथि के साथ आते हैं।
परेड में विभिन्न राज्यों से चलित शानदार प्रदर्शनी भी होती है, प्रदर्शनी में हर राज्य के लोगों की विशेषता, उनके लोक गीत व कला का दृश्यचित्र प्रस्तुत किया जाता है। हर प्रदर्शिनी भारत की विविधता व सांस्कृतिक समृद्धि प्रदर्शित करती है। परेड और जुलूस राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित होता है और देश के हर कोने में करोड़ों दर्शकों के द्वारा देखा जाता है।

भारत के राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री द्वारा दिया गये भाषण को सुनने के लाखों कि भीड़ लाल किले पर एकत्रित होती है।

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