
शोपेनहावर पर अन्य विचारकों का प्रभाव
शोपेनहावर
का कहना था कि वे उपनिषदों, कॉन्ट एवं प्लेटो से
प्रभावित थे। शोपेनहावर के लेखों में भारतीय दर्शन का बार-बार उल्लेख आता है। वे बुद्ध की शिक्षाओं को
मानते थे और स्वयं को बौद्धधर्मी कहते उनका यहाँ तक कहना था कि यदि ये शिक्षाएँ
नहीं होतीं तो उनका दर्शन भी नहीं होता। उपनिषदों के बारे में उन्होने कहा -
" मेरे जीवन में उपनिषदों से शान्ति (solace) मिली है; उनसे ही मुझे मृत्यु के समय भी शान्ति मिलेगी।"
शोपेनहावर का प्रभाव
शोपेनहावर
का इच्छा का विश्लेषण एवं
उनकी मानवी इच्छा एवं प्रेरणाओं पर विचार ने फ्रेडरिक नीत्शे, रिचर्ड वाग्नर, लुड्विग विटिंगस्टीन एवं सैमुएल फ्रायड आदि प्रसिद्ध
दार्शनिकों को प्रभावित किया। उनके पश्चवर्ती विचारकों पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा, यद्यपि यह प्रभाव
दर्शन की अपेक्षा कला के क्षेत्र में
ज्यादा है।
भारतविद्या (Indology)
शोपेनहावर
ने उपनिषद का लैटिन अनुवाद पढा था जो
फ्रांसीसी लेखक अंकेतिल दू पेरों (Anquetil du Perron) द्वारा दारा शिकोह के फारसी में सिरे-अकबर (महान रहस्य) से
अनूदित था। वह उपनिषदों के दर्शन से इतने प्रभावित हुए कि उन्होने कहा कि उपनिषदों ने मानव का
सर्वोच्च ज्ञान उत्पन्न किया है।
उपनिषद नामक पुस्तक सदा
उनकी मेज पर पड़ी रहती थी और सोने के पहले वे उसे जरूर पढते थे। संस्कृत साहित्य को वह अपनी
शताब्दी का सर्वोत्कृष्ट उपहार कहते थे। उन्होने भविष्यवाणी की थी कि उपनिषदों का
ज्ञान और दर्शन ही पश्चिम का धर्म बन जायेगा।
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