Thursday 6 July 2017

जीएसटी

संसद के सेंट्रल हॉल में शुक्रवार को आधी रात को प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी और पीएम मोदी ने बटन दबाकर जीएसटी को लॉन्च किया। हालांकि अब भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें इसके प्रावधानों को लेकर अब भी कुछ भ्रम हैं।
क्या है जीएसटी : गुड्‍स एंड सर्विसेस टैक्स यानी वस्तु एवं सेवा कर को 1947 के बाद सबसे बड़ा कर सुधार (टैक्स रिफॉर्म) माना जा रहा है। भारत में वर्ष 2006-07 के आम बजट में पहली बार इसका जिक्र किया गया गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर यानी इंडायरेक्ट टैक्स है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स लगाया जाता है। जहां जीएसटी लागू नहीं है, वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं। सरकार अगर इस बिल को 2016 से लागू कर देती तो हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स जैसे करों की जगह सिर्फ एक ही टैक्स लगेगा।
क्या होंगे इसके फायदे?
-संविधान के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारें अपने हिसाब से वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगा सकती हैं।
-अगर कोई कंपनी या कारखाना एक राज्य में अपने उत्पाद बनाकर दूसरे राज्य में बेचता है तो उसे कई तरह के टैक्स दोनों राज्यों को चुकाने होते हैं जिससे उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है। जीएसटी लागू होने से उत्पादों की कीमत कम होगी।
-नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी लागू होने से देश की जीडीपी में एक से पौने दो फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
 किन उत्पादों पर लागू होगा जीएसटी?
-2014 में पास संविधान के 122वें संशोधन के मुताबिक जीएसटी सभी तरह की सेवाओं और वस्तुओं/उत्पादों पर लागू होगा। सिर्फ अल्कोहल यानी शराब इस टैक्स से बाहर होगी।

 कैसे काम करेगा जीएसटी?
-जीएसटी में तीन अंग होंगे – केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी।
-केंद्रीय और इंटीग्रेटेड जीएसटी केंद्र लागू करेगा जबकि राज्य जीएसटी राज्य सरकारें लागू करेंगी।

 अगर जीएसटी भी वैट की तरह है तो फिर इसकी जरूरत क्यों?
-हालांकि जीएसटी भी वैट जैसा ही टैक्स है, लेकिन इसके लागू होने से कई और तरह के टैक्स नहीं लगेंगे।
-इतना ही नहीं जीएसटी लागू होने से अभी लगने वाले वैट और सेनवेट दोनों खत्म हो जाएंगे।
किसी भी राज्य में सामान का एक दाम
-जीएसटी लागू होने से सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को होगा. पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी। जैसे कोई कार अगर आप दिल्ली में खरीदते हैं तो उसकी कीमत अलग होती है, वहीं किसी और राज्य में उसी कार को खरीदने के लिए अलग कीमत चुकानी पड़ती है। इसके लागू होने से कोई भी सामान किसी भी राज्य में एक ही रेट पर मिलेगा।

कर विवाद में कमी
-अगर यह लागू हो जाता है तो कई बार टैक्स देने से छुटकारा मिल जाएगा। इससे कर की वसूली करते समय कर विभाग के अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना भी कम हो जाएगी। एक ही व्यक्ति या संस्था पर कई बार टैक्स लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, सिर्फ इसी टैक्स से सारे टैक्स वसूल कर लिए जाएंगे। इसके अलावा जहां कई राज्यों में राजस्व बढ़ेगा तो कई जगह कीमतों में कमी भी होगी।

ये
चीजें महंगी
- 
बैंकिंग और टेलिकॉम जैसी सेवाएं महंगी हो जाएंगी। इसके अलावा फ्लैट्स, रेडिमेट गारमेंट्स, महीने का मोबाइल बिल और ट्यूशन फीस पर भी टैक्स बढ़ जाएगा।
1
जुलाई से जब आप एसी रेस्तरां में जाएं तो 18 पर्सेंट टैक्स के लिए तैयार रहें। हां, यदि आप गैर-एसी रेस्तरां में जाते हैं तो 6 पर्सेंट की बचत करते हुए सिर्फ 12 पर्सेंट ही चुकाना होगा।
मोबाइल बिल, ट्यूशन फीस और सलून पर भी आपको 18 पर्सेंट टैक्स देना होगा। अब तक इन पर 15 फीसदी टैक्स ही रहा है।
- 1,000
रुपये से अधिक की कीमत के कपड़ों की खरीद पर भी अब आपको 12 पर्सेंट टैक्स देना होगा। अब तक इस पर 6 फीसदी स्टेट वैट ही लगता था। ध्यान दें कि 1,000 से कम के परिधानों पर 5 पर्सेंट की दर से ही टैक्स लगेगा। 
जीएसटी की व्यवस्था में दुकान या फ्लैट खरीदने पर 12 फीसदी टैक्स देना होगा। फिलहाल यह करीब 6 पर्सेंट है। 
GST से ये आइटम हो जाएंगे सस्ते 
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81 पर्सेंट आइटम्स 18 फीसदी से कम के स्लैब में होंगे। खासतौर पर वेइंग मशीनरी, स्टैटिक कन्वर्टर्स, इलेक्ट्रिक ट्रांसफॉर्मर्स, वाइंडिंग वायर्स, ट्रांसफॉर्मस इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्सेज द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले टू-वे रेडियो सस्ते हो जाएंगे।
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पोस्टेज और रेवेन्यू स्टांप्स भी सस्ते हो जाएंगे। इन पर 5 पर्सेंट ही टैक्स लगेगा। 
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कटलरी, केचअप, सॉसेज और अचार आदि भी सस्ते होंगे। इन्हें 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा जाएगा। 
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सॉल्ट, चिल्ड्रंस पिक्चर, ड्रॉइंग और कलर बुक्स को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। प्लेइंग कार्ड्स, चेस बोर्ड, कैरम बोर्ड और अन्य बोर्ड गेम्स को घटाकर 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा गया है। 
इन आइटम्स को टैक्स से छूट
फ्रेश मीट, फिश चिकन, अंडा, दूध, बटर मिल्क, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टांप. न्यायिक दस्तावेज, प्रिंटेड बुक्स, अखबार, चूड़िया और हैंडलूम जैसे तमाम रोजमर्रा की जरूरतों के आइटम्स को जीएसटी के दायरे से ही बाहर रखा गया है। 

इन पर लगेगा सिर्फ 5 पर्सेंट का टैक्स
फिश फिलेट, क्रीम, स्किम्ड मिल्ड पाउडर, ब्रैंडेड पनीर, फ्रोजन सब्जियां, कॉफी, चाय, मसाले, पिज्जा ब्रेड, रस, साबूदाना, केरोसिन, कोयला, दवाएं, स्टेंट और लाइफबोट्स जैसे आइटम्स को टैक्स की सबसे निचली 5 पर्सेंट की दर में रखा गया है।

ऐसी जरूरी चीजों पर 12 फीसदी टैक्स
फ्रोजन मीट प्रॉडक्ट्स, बटर, पैकेज्ड ड्राई फ्रूट्स, ऐनिमल फैट, सॉस, फ्रूट जूस, भुजिया, नमकीन, आयुर्वेदिक दवाएं, टूथ पाउडर, अगरबत्ती, कलर बुक्स, पिक्चर बुक्स, छाता, सिलाई मशीन और सेल फोन जैसी जरूरी आइटम्स को 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा गया है। 

मिडिल क्लास की इन चीजों पर 18 पर्सेंट टैक्स
फ्लेवर्ड रिफाइंड शुगर, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, पेस्ट्रीज और केक, प्रिजर्व्ड वेजिटेबल्स, जैम, सॉस, सूप, आइसक्रीम, इंस्टैंट फूड मिक्सेज, मिनरल वॉटर, टिशू, लिफाफे, नोट बुक्स, स्टील प्रॉडक्ट्स, प्रिंटेड सर्किट्स, कैमरा, स्पीकर और मॉनिटर्स पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया है।

इन पर लगेगा सबसे ज्यादा 28 फीसदी कर
चुइंग गम, गुड़, कोकोआ रहित चॉकलेट, पान मसाला, वातित जल, पेंट, डीओडरन्ट, शेविंग क्रीम, हेयर शैम्पू, डाइ, सनस्क्रीन, वॉलपेपर, सेरेमिक टाइल्स, वॉटर हीटर, डिशवॉशर, सिलाई मशीन, वॉशिंग मशीन, एटीएम, वेंडिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, शेवर्स, हेयर क्लिपर्स, ऑटोमोबाइल्स, मोटरसाइकल, निजी इस्तेमाल के लिए एयरक्राफ्ट और नौकाविहार को लग्जरी मानते हुए जीएसटी काउंसिल ने 28 फीसदी का टैक्स लगाने का फैसला लिया है।
जानें, कारोबारियों पर होगा क्या असर?
-20 लाख रुपये से कम के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी की व्यवस्था से छूट दी गई है। अब तक यह छूट 10 लाख तक ही सीमित थी।

-75 लाख रुपये से अधिक के सालाना टर्नओवर वाले ट्रेडर्स, मैन्युफैक्चरर्स और रेस्तरां कंपोजिशन स्कीम के तहत क्रमश: 1, 2 और 5 पर्सेंट अदा कर सकते हैं। हालांकि इन बिजनस को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल सकेगा।

-अन्य कारोबारियों को हर महीने तीन रिटर्न भरने होंगे। इनमें से दो ऑटोमेटिक होंगे।

-1 जुलाई के बाद आने वाले किसी भी माल पर जीएसटी लगेगा। हालांकि 30 जून से पहले आने वाले स्टॉक की बिक्री पर कारोबारियों को कॉम्पेन्सेशन भी मिलेगा।
कैसे करें रजिस्ट्रेशनजीएसटी पोर्टल पर लॉग-इन करें। प्रविजनल आईडी-पासवर्ड एंटर करें।
क्या-क्या चाहिएआईडी-पासवर्ड एंटर करते ही एनरॉलमेंट ऐप्लिकेशन पेज पर जाएंगे, जहां अलग-अलग 8 टैब पर क्लिक कर ये जानकारियां देंः बिजनेस डिटेल्स, प्रमोटर या पार्टनर, अथॉराइज्ड सिग्नेटरी, कारोबार का मुख्य स्थान, कारोबार का अतिरिक्त स्थान, सामान और सेवाएं, बैंक अकाउंट। फिर डिजिटल सिग्नेचर का पेज खुलेगा, जिसे सबमिट करने के 15 मिनट के भीतर आपको ऐप्लिकेशन रेफरेंस नंबर (ARN)मिल जाएगा। 

यहां मिलेगी मदद: किसी भी तरह की परेशानी होने पर cbecmitra.helpdesk@gst.gov.in पर अपनी डिटेल्स भेज सकते हैं या हेल्पलाइन नंबर 1800-1200-232 पर कॉल कर सकते हैं। 

किसे कराना होगा रजिस्ट्रे शन: अगर टर्नओवर 20 लाख रुपये के ऊपर है और आप वैट, एक्साइज या सर्विस टैक्स में रजिस्टर्ड हैं तो बिना प्रोविजिनल जीएसटी रजिस्ट्रेशन के जीएसटी लागू होते ही आप अनरजिस्टर्ड कैटेगरी में जाएंगे। नए रजिस्ट्रेशन के लिए 30 दिन का वक्त होगा। पिछले इनपुट क्रेडिट और रिफंड के लिए आपको रजिस्टर्ड होकर माइग्रेट करना चाहिए। 

रजिस्ट्रेशन खर्च: अगर खुद कर रहे हैं तो मुफ्त में हो सकता है क्योंकि रजिस्ट्रेशन की कोई फीस नहीं है। सीए या आईटी सॉल्यूशन फर्म की मदद ले रहे हैं तो 1000 से 3000 रुपये तक खर्च सकता है। 

क्या है GS-TIN: एनरॉलमेंट नंबर मिलने का मतलब है कि रजिस्ट्रेशन लगभग तय। डिपार्टमेंट सेल्स डिटेल्स सहित कुछ जानकारियां अपलोड करने को कह सकता है। इसके बाद एक प्रोविजिनल जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर जारी होगा जो जीएसटी लागू होने के बाद स्थायी टिन नंबर होगा।

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